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Thursday, September 8, 2011
Ishq
इस रात के अँधेरे की गहराई में मैं कहीं खो न जाऊं
इंतज़ार के इन लम्हों को तू ही बता में कैसे बिताऊँ
इस इश्क का इम्तेहान इतना ना लीजिये
कही तुझको सोचते, खुद ही को ना भूल जाऊं
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